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Saturday, 25 April 2020

मौलिक अधिकार भाग तीन (अनुच्छेद 12 से 35)


CLASSIFICATION OF FUNDAMENTAL RIGHT

1 समता का अधिकार (right of equality )

2 स्वतंत्रता का अधिकार (right of freedom )

3 शोषण के विरुद्ध अधिकार (right  against exploration)

4 धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (right to religious freedom )

5 सांस्कृतिक एवं शिक्षा का अधिकार (cultural and educational right)

6 संपत्ति का अधिकार (right to property remove by the 44 amendment of the constitution in in 1978)

7 संविधान संवैधानिक उपचारों का अधिकार (right to constitutional remedies )

 समता का अधिकार (right of equality )

भारतीय संविधान को भाग तीन  के अंतर्गत मौलिक  अधिकारों का विषद विवेचन किया गया है किंतु मौलिक अधिकारों की परिभाषा नहीं दी गई है तथापि मौलिक अधिकार वे अधिकार होते हैं जो व्यक्ति के नैतिक बौद्धिक अध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक होते हैं।


 कुल 23 अनुच्छेदों में मौलिक अधिकारों के बारे में वर्णन किया गया है

अनुच्छेद 12 - राज्य की परिभाषा भारत सरकार भारतीय संसद राज्य सरकार राज्यों की व्यवस्थापिका है अन्य सरकारी सोर्स।

अनुच्छेद 13 - राज्य कोई ऐसी विधि कानून बनाए जो हमारी हमारे मौलिक अधिकारों को कम करें या न्यून करें यदि राज्य कोई ऐसी कोई विधि बनाती है तो वह विधि उच्च मात्रा तक शून्य घोषित की जाएगी जिस मात्रा तक हमारे मौलिक अधिकारों को कम करने न्यू करने का प्रयास किया गया है सर्वोच्च न्यायालय किसी शक्ति को न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति कहा जाता है।

Right to equality समानता का अधिकार

अनुच्छेद 14 (a) विधि के समक्ष समानता equality before law there is no man above law

विधि के समक्ष समानता वाक्य ब्रिटेन से लिया गया है।

अनुच्छेद 14 (b) equal protection of love विधियों का समान संरक्षण
विधियों का समान संरक्षण वाक्य अमेरिका से लिया गया है नोट एक ग्रुप के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा लेकिन अलग ग्रुप के ग्रुप के साथ भेदभाव किया जा सकता है

It means no no man ए बाबू and every person whatever his are her social status is subject to the judiciary of the court it mean that all person in similar condition circumstances shall be treated a lie
There can be discrimination between the group but not given the group the states stand for the welfare all section of the social society if can make certain discrimination in fear of those who are the less brvillaged.

अनुच्छेद 14 (अपवाद) समानता के नियम के अपवाद भी हैं जैसे राष्ट्रपति राज्यपाल विदेशी राज नायक सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट के जज संसद तथा  विधान मंडलों के सदस्यों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं इसके अतिरिक्त समाज के विभिन्न वर्गों के संबंध में भिन्न-भिन्न कानून बनाए जा सकते हैं।

अनुच्छेद 15 (a)
इसमें यह  प्रविधान किया गया है कि राज्य नागरिकों के साथ धर्म मूल वंश जाति लिंग जन्म स्थान अथवा इनमें से किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं बढ़ते जाते हैं

अनुच्छेद 15 (b) सार्वजनिक स्थानों पर भी जनता को जाने से नहीं रोका जाएगा।

अनुच्छेद 15 (c) इसके अनुसार राज्य स्त्रियों और बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था कर सकता है। उदाहरण के लिए हम देखते हैं कि संसद में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 में पारित किया इसके तहत 1992 में प्रथम महिला आयोग (जयंती पटनायक थी)का गठन किया।

अनुच्छेद 15(d) एक अपवाद के रूप में हमारे सामने आता है इसके इसमें यह व्यवस्था है कि सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वे लोगों के लिए  या SC ST के लिए विशेष पर विधान कर सकता है अनुच्छेद 15(d) को प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम 1951 के द्वारा जोड़ा गया।

चंपाकम दोराईराजन VS तमिलनाडृ
यह संशोधन मद्रास बनाम चंपा कम दोराई राजन 1951 में दिए गए निर्णय निर्णय को प्रभावी बनाने लाया गया भारत में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता है।

बालाजी बनाम मैसूर 1963
राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय किया कि आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती है इस बाद में न्यायालय में क्रीमी लेयर के सिद्धांत को नहीं माना। मंडल आयोग के मामले में इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ 1992 भी सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय निर्णित किया आरक्षण की सीमा 50% से अधिक हो ही नहीं सकती इस बाद में क्रीमी लेयर के सिद्धांत को मान लिया गया।

अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता

अनुच्छेद 16 (a) राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन यान किसे संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी।

अनुच्छेद 16 (b) राज्य के अधीन किसी नियोजन या पद के संबंध में केवल धर्म मूल वंश जाति लिंग उद्भव जन्म स्थान या निवास या इनमें से किसी आधार पर ना तो कोई नागरिक अपात्र होंगे और ना ही में कोई भेदभाव किया जाएगा।

अनुच्छेद 16 (c) संसद को यह शक्ति प्रदान करता है वह विधि बनाकर सरकारी सेवाओं में नियुक्ति के लिए उस राज्य में निवास की अहर्ता बिहित (लागू) कर सकता है।

अनुच्छेद 16 (d) राज्य को सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण करने की शक्ति प्रदान करता है।

अनुच्छेद-17 अस्पृश्यता का अन्त-इसके द्वारा छुआछुत जैसा मान्यताओं या भावनाओं का अंत करने का प्रयास किया गया है और अगर कोई इस प्रकार का कार्य करता है तो विधि द्वारा दण्डित होगा।
    अस्पृश्यता का अन्त करने के लिए कानून बनाने का अधिकार संसद को दिया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए 1955 से अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955 पारित किया गया।
    बाद में इसे 1976 में संशेधित करके इसके नाम में परिवर्तन किया गया और अब यह ‘‘सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976’’ के नाम से जाना जाता है।

अनुच्छेद 18 उपाधियों का अंत- वस्तुतः इस अनुच्छेद को इस लिए जोड़ा गया क्योकि ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने कुछ लोगो को अनेक उपाधियाँ अपना विश्वासपात्र बनाने के लिए प्रदान की थी।
    उपाधियों के अन्त का मतलब यह नही है कि शौर्य (सेना) और विद्या (शिक्षा) से सम्बन्धित उपाध्यिँ नही दी जायेगी। इस प्रकार के सम्मान पूरी तरह वैध है, इसलिए सैनिक सेवा के लिए परमवीर चक्र, अशोक चक्र, वीर चक्र तथा महावीर  चक्र  देने पर कोई प्रतिबन्ध नही है। संविधान द्वारा किये गए प्रतिषेध के बावजूद विशिष्ट सामाजिक सेवा करने वाले व्यक्तियो को भारतरत्न, पदमविभूषण, पदमभूषण, एवं पदम्श्री पुरस्कार देने का प्रारम्भ भारत सरकार द्वारा 1959 से किया गया। 1977 मे जनता पार्टी की सरकार के द्वारा 1980 में प्रारम्भ हुआ। सेना का सबसे बड़ा पुरस्कार परमवीर चक्र है। शांति काल का सबसे बड़ा पुरस्कार अशोक चक्र है।

स्वतंत्रता का अधिकार (अनु. 19 से 22)

अनुच्छेद 19 वाक्, स्वतन्त्रता आदि विचारक कुछ अधिकारो का संरक्षण। (इसी में प्रेस की स्वतंत्रता निहित है।)

अनुच्छेद 19(a) वाक्, भाषण और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

अनुच्छेद 19(b) शान्तिपूर्वक और निरायुद्ध सम्मेलन का अधिकार।

अनुच्छेद 19(c) संगम या संघ बनाने का अधिकार।

अनुच्छेद 19(d) भारत के राज्यक्षेत्रों के भीतर अबाध संचरण (बिना किसी बाधा के आने-जाने) का अधिकार।

अनुच्छेद 19(e) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतंत्रता।

अनुच्छेद 19(f) सम्पत्ति का अधिकार। (44वें संविधान संशोधन 1978 में हटाया गया।)

अनुच्छेद 19(g) कोई वृत्ति (कार्य), कोई उपजीविका कारोबार या व्यापार करने की स्वतंत्रता।

अनुच्छेद 19(h) सूचना का अधिकार।

अनुच्छेद 20 अपराधो के दोष सिद्धि के सम्बन्ध में संरक्षण

अनुच्छेद 20(a) कार्योत्तर विधियों से संरक्षण : अनुच्छेद 20 का खण्ड ए यह उपबन्धित करता है कि व्यक्ति केवल किसी प्रवृत विधि के अन्तर्गत विहित अपराध के लिए दोषी ठहराया जायेगा अन्य अपराध के लिए नही।

अनुच्छेद 20(b) दोहरे दण्ड से संरक्षण : इसका तात्पर्य है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दण्डित नही किया जायेगा।

अनुच्छेद 20(c) आत्म-अविशंसन से संरक्षण : किसी भी व्यक्ति को, जिस पर कोई आरोप लगाया गया है स्वयं अपने विरूद्ध साक्ष्य देने के लिए बाध्य नही किया जायेगा। 

अनुच्छेद 21 प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार : यह उपबन्धित करता है कि ‘‘किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वाधीनता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जायेगा अन्यथा नही।

अनुच्छेद 21(a) शिक्षा का निशुल्क अधिकार (86 वा संशोधन 2002) संविधान के 86वे संविधान    संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा एक नया अनुच्छेद 21ए जोड़ा गया। अनुच्छेद 21(a) यह  उपबन्धित करता है कि राज्य ऐसी रिति से जैसा कि विधि बनाकर निर्धारित करे 06 वर्ष की आयु से 14 वर्ष के आयु के सभी बच्चो के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपबन्ध करायेगी।

अनुच्छेद 22 कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध में संरक्षण : यह निवारत निरोध से सम्बन्धित व्यवस्था है। पुनः इसमें गिरफ्तार किए गये व्यक्ति को बहुत से अधिकार प्रदान किये गए है और इसका पालन सरकार द्वारा उचित रूप से नही किया जाता है तो पूरी की पूरी गिरफ्तारी असंवैधानिक करार दी जा सकती है यह अधिकार निम्नलिखित है-

1 गिरफ्तारी के कारण जानने का अधिकार 
2 यथाशीघ्र अपने मनपसंद वकील से परामर्श करने का अधिकार।
3 24 घण्टे के अन्दर किसी न्यायाधीश के सामने पेश करने का अधिकार। 

अनुच्छेद 22 का संरक्षण निम्नप्रकार के व्यक्तियों को नही प्राप्त है।
1 शत्रु देश के निवासियों को।
2 निवारत निरोध (अपराध करने से रोकना) अधिनियम के  अन्तर्गत व्यक्तियों को।
गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को अनुच्छेद 20 एवं 22 में संरक्षण प्रदान करता है।

शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24) 

अनुच्छेद 23 मानव के क्रय विक्रय और दुर्व्यापार और बेगार पर रोक।

अनुच्छेद 24 कारखानो आदि में बालको के नियोजन पर (रोक) प्रतिषेध।
14 वर्ष से कम आयु के बच्चो को किसी कारखानो या जोखिम भरे कामो में नहीं लगाया जाएगा।

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)

अनुच्छेद 25 अन्तःकरण (आत्मा) की और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता। लेकिन इस स्वतंत्रता पर लोक व्यवस्था, लोक स्वास्थ तथा सदाचार के      आधार पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है। 
नोटः- कृपाण धारण करना तथा लेकर चलना सिक्ख धर्म मानने का अनिवार्य अंग होगा।

अनुच्छेद 26 धार्मिक कार्यो की प्रबन्ध की स्वतंत्रता : इसमें यह व्यवस्था की गयी है कि 1. सार्वजनिक व्यवस्था 2.  लोक स्वास्थ 3. सदाचार के अधीन रहते हुए प्रत्येक धार्मिक सम्प्रदाय को यह अधिकार है कि अपने धार्मिक कार्यो के लिए संस्था की स्थापना करे, कोई सम्पत्ति खरीदे और संस्था के अनुरूप प्रयोग करे।

अनुच्छेद 27 किसी विशिष्ट धर्म कि अभिवृद्धि के लिए करो के संदाय (देना) के बारे में स्वतंत्रता। यह अनुच्छेद यह स्पष्ट करता है कि किसी को किसी धर्म के लिए, कर देने के लिए बाध्य नही किया जा सकता। 
संविधान किसी विशेष धर्म पर किए जाने वाले व्यय को कर मुक्त करता है, लेकिन यदि राज्य किसी धार्मिक सम्प्रदाय के लिए कोई कार्य करता है तो, ऐसे कार्य के लिए राज्य उस धार्मिक सम्प्रदाय के  लोगो से शुल्क वसूल कर सकता है।

अनुच्छेद 28 सरकारी/ सरकारी सहायता प्राप्त : 
  • उन शिक्षा संस्थाओ में कोई धार्मिक शिक्षा नही दी जायेगी जो पूर्णतः सरकार की खर्च पर संचालित हो। 
  • जो शिक्षा संस्था किसी ऐसे ट्रस्ट/न्यास के द्वारा स्थापित की गई है उसमे धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है।
  • राज्य से मान्यता प्राप्त या राज्य निधि से सहायता प्राप्त किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नही दी जायेगी या उसमे संलग्न स्थान में कोई धार्मिक शिक्षा नही दी जायेगी और न ही किसी की उपासना में उपस्थित होने के लिए बाध्य किया जायेगा।

संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार 
(cultural and educational right)

अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यक वर्गो के लिए हितो का संरक्षण भारत के राज्य क्षेत्र एवं किसी भाग के निवासी नागरिको के लिए किसी अनुभाग (खण्ड) जिसकी अपनी भाषा लिपि या संस्कृति है। उसे बनाये रखने का अधिकार होगा।
राज्य द्वारा पोषित या राज्य निधि से सहायता पाने वाले किसी शिक्षा संस्था मे ंप्रवेश से किसी भी नागरिक को केवल धर्म मूलवंश जाति या भाषा के आधार पर वंचित नही किया जायेगा।
अनुच्छेद 30 शिक्षा संस्थाओ की स्थापना और प्रशासन करने (का अल्पसंख्यक) करने का अधिकार
धर्म या भाषा आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गो को अपनी रूचि की शिक्षा संस्थाओ की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार हो।
शिक्षा संस्थाओ को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरूद्ध इस आधार पर विभेद नही करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबन्ध में है।

अनुच्छेद 32 ‘‘यदि मुझसे यह पूछा जाये कि संविधान में कौन सा अनुच्छेद विशेष महत्वपूर्ण है जिसके बिना यह संविधान शून्य हो जायेगा। तो मै इसके सिवाय ( अनुच्छेद 32) किसी दूसरे अनुच्छेद का नाम नही लूंगा। यह संविधान की आत्मा है।’’-डॉ. बी.आर. अम्बेडकर

 हैबिस कपिस, Habeas Carpus (बन्दी प्रत्यक्षीकरण)- यह याचिका एक आदेश के रूप में होती है। जिसमे न्यायालय गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को गिरफ्तारी की वैधता की जाँच करती है। अगर किसी को गलत तरीको से बन्दी बनाया गया है तो न्यायालय उसे मुक्त करने का आदेश देगा। यह (प्रलेख) याचिका सरकारी अधिकारियो के अतिरिक्त नीजी संगठनो तथा साधारण व्यक्तियो के विरूद्ध भी जारी किया जा सकता है।

मेडमोस, Medamus(परमादेश) किसी व्यक्ति अथवा सार्वाजनिक संस्था को उसके सामाजिक दायित्वो तथा कर्त्तव्यो का पालन करने के लिए जारी करने के लिए किया जाता है।

प्रोहीबीशन, Prohibition(प्रतिषेध) जब निम्न न्यायालय के समक्ष किसी ऐसे मामले कार्यवाही लाम्बित हो जिसकी सूनावाई करने का उसे अधिकार नही है।
इस रिठ को जारी करने का उद्देश्य न्यायालय को उस मामले में कार्यवाही करने से रोकना होगा।  
Certiorari (उत्प्रेषण) जब किसी मामले में निम्न न्यायालय ने निर्णय दे दिया हो तो इस प्रलेख के जारी होने के बाद निम्न न्यायालय उसे उच्च न्यायालय में भेज दिया जाता है यदि निम्न न्यायालय आदेश दे दिया होता है तो व निरस्थ हो जाता है।

Quo warranto (अधिकार पृच्छा)- न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को किसी पद जिसके लिए वछिन्निय नही है ग्रहण करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है।

अनुच्छेद 33 सेना के सदस्यो के अधिकारो पर निरबन्धन (रोक) लगाने की संसद की शक्ति।

अनुच्छेद 33 संविधान के भाग तीन का एक अपवाद है इस भाग द्वारा प्रद्दत अधिकारो मे से किसी को शस्त्र बलो की सदस्यो के प्रयोग के सम्बन्ध मे किस मात्रा तक निरबन्धन किया जाये ताकि वे अपने कर्त्तव्यो का उचित पालन कर सके तथा अनुशासन बना रहे।






Tuesday, 14 April 2020

प्रस्तावना या उद्देशिका एवं उससे सम्बन्धित तथ्य

          प्रस्तावना किसी भी संविधान का दर्पण होता है। जिसने संविधान में निहित लक्ष्यो एवं  उद्देश्यों का वर्णन होता है। (जवाहरलाल नेहरू 13 दिसंबर 1946 पारित 22 जनवरी 1947)
भारतीय संविधान की प्रस्तावना निम्न प्रकार है-
"हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व, संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को: 
समाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय;
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, 
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा, 
उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 (मितिमार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत 2006 विक्रमी) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मर्पित करते हैं।"


1-संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न वह राष्ट्र  हैं जो अपने आंतरिक,  बाह्य नीतियों का संचालन स्वतंत्रता पूर्वक बिना किसी हस्तक्षेप के करता है तो ऐसे राज्य को संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न कहते हैं

2- समाजवादी शब्द का व्यापक अर्थ और भारत मैं लोकतंत्रात्मक गणराज्य को अपनाया गया है जिसका अर्थ है समाजवादी लक्ष्यों को लोकतांत्रिक तरीकों से प्राप्त किया जाए। इनमें तीन तरह की अर्थव्यवस्था आती है।   (i)-पूंजी वादी (95 प्रतिशत प्राइवेट 5 प्रतिशत) (ii)-समाजवादी अर्थव्यवस्था (95% पब्लिक 5% प्राइवेट)  (iii)-मिक्सड  अर्थव्यवस्था (55% प्राइवेट 45% पब्लिक)

3-पंथनिरपेक्ष इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य धर्म से तटस्थ रहेगा। इसका मतलब यह है कि राज्य किसी भी धर्म को संरक्षण प्रदान नहीं करेगा।

4-लोकतंत्रात्मक लोकतंत्र की सर्वश्रेष्ठ परिभाषा करते हुए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा है       " by the people, for the people of the people"

5-गणराज्य जिस देश का राष्ट्राध्यक्ष जनता के द्वारा Direct अथवा Indirect रूप से चुना जाता है वह वंशानुगत ना हो ना हो।

6-संविधान सभा के द्वारा बी.एन. राव को संवैधानिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया संविधान सभा के 284 सदस्यों में संविधान पर हस्ताक्षर किया।

7-29 नवंबर 1949 को लगभग 15 अनुच्छेद तुरंत लागू कर दिए गए। 26 नवंबर 1949 adopted and 25 November 1949 को लागू किया गया। 

8- 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। 13 दिसंबर 1946 को पंडित नेहरू द्वारा सविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिसे संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी 1947 को स्वीकार किया गया बाद में यही प्रस्ताव भारतीय संविधान की आधारशिला बनी।

9- सविधान को बनाने में 6.4 करोड़ रुपए खर्च हुए। संविधान को बनाने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा।

10-संविधान सभा के द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को 26 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया।

11- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के द्वारा हमारे हमारे राष्ट्रीय गान को स्वीकार किया गया। (रविंद्र नाथ टैगोर बंगाल भारत)
12-भारतीय संविधान की प्रस्तावना को के.एम. मुंशी ने सविधान की जन्म कुंडली  कहा 

13-Earnest Barker ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान की कुंजी कहा 

14-भारतीय संविधान की प्रस्तावना में अभी तक एक बार संशोधन किए गए हैं, 42 वे संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा प्रस्तावना में तीन शब्द शामिल किए गए (i) समाजवादी (ii)पंथनिरपेक्ष और (iii) अखंडता। 

15-क्या प्रस्तावना सविधान का अंग है?

उत्तर- हां, बेरुबारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1960 में स्पष्ट किया कि  संविधान निर्माताओं  की  विचारों को जाने की कुंजी है साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि प्रस्तावना संविधान का अंग है पर न्यायालय में कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं है । केसवानंद बनाम किरण राज के मामले में 1973 सुप्रीम  सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि प्रस्तावना संविधान का अंग भाग है इसमें भी संशोधन किया जा सकता है लेकिन साथ ही यह स्पष्ट किया कि प्रस्तावना के उस भाग में संशोधन नहीं किया जा सकता जो कि आधारभूत ढांचे से संबंधित है।

नोट- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को संविधान का पिता कहा जाता है जबकि के. बी. राव ने इन्हें संविधान की जननी कहा।

Friday, 10 April 2020

भारतीय संविधान के स्रोत ( Sources of Indian Constitution)

No Country Sources
1.ब्रिटेन (Britan) संसदात्मक शासन प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि वित्तीय आपात
2.संयुक्त राज्य अमेरिका (United state America) मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग उपराष्ट्रपति उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की विधि
3.कनाडा (Canada) केंद्र एवं राज्य के मध्य शक्तियों का विभाजन, केंद्र सूची एवं राज्य सूची
4.ऑस्ट्रेलिया (Australia) समवर्ती सूची (Concurent), प्रस्तावना की भाषा (Language of Preamble)
5.जर्मनी (Germany) आपात प्रबंध(Emergency Provision) 352 (3 times), 356 (Maximum times), 360
6.साउथ अफ्रीका (Soth Afria) संविधान संशोधन(Constitutional Amendment)
7.पूर्व सोवियत संघ (Russia) पंचवर्षीय योजना PM-chairman-D.C- 8 Member+CM
8.आयरलैंड (Ireland) 1-राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका, 2-राज्य के नीति निर्देशक तत्व [Diretive Principles Of State Policy(DPSP)] 3-राज्यसभा में राष्ट्रपति के द्वारा 12 व्यक्तियों को मनोनीत किया जाएगा जो कि साहित्य, कला, विज्ञान, समाज सेवा में ख्याति स्थान रखता है
9.जापान(japan) अनुच्छेद 21 की शब्दावली
भारतीय संविधान के भाग
भाग (Part) संबंधित विषय अनुच्छेद (Art.)
Part 1 संघ एवं उसका राज्य क्षेत्र 1 से 4
Part 2 नागरिकता 5 से 11
Part 3 मौलिक अधिकार 12 से 35
Part 4 राज्य के नीति निदेशक तत्व 36 से 51
Part 5 संघ 52 से 151
Part 6 राज्य 152 से 237
Part 7 निरसित 238
Part 8 संघ राज्य क्षेत्र 239 से 241
Part 9 पंचायत (1992) 243
Part 9 (क)नगर पंचायत 243
Part 10 अनुसूचित तथा अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र 244
Part 11 केंद्र और राज्य के मध्य संबंध 245 से 263
Part 12 वित्तीय संपत्ति सुविधाएं और वाद (मुकदमा) 264 से 300 ए
Part 13 भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर वाणिज्य व्यापार और समागम की स्वतंत्रता 301 से 307
Part 14 संघ और राज्य के अधीन सेवाएं यूपी.एस.सी/ एस.पी.एस.सी/ जे.पी.एस.सी 308 से 323
Part 14 (ए) न्यायाधिकरण 323 ए
Part 15 निर्वाचन आयोग 324 से 329
Part 16 कुछ पिछड़े वर्गों के संबंध में विशेष उपबंध (आरक्षण) 330 से 342
Part 17 राज्य भाषा 343 से 351
Part 18 आपात प्रबंध 352 से 360
Part 19 प्रकीर्ण (कुछ विशेष अस्थाई उपबंध) 361 से 367
Part 20 संविधान संशोधन 368
Part 21 संक्रमण कालीन 369 से 392
Part 22 संक्षिप्त नाम प्रारंभ हिंदी में प्राधिकृत भाग समाप्त करना 393 से 395
भारत के उच्च न्यायालयों की सूची
क्र.स. न्यायालय का नाम स्थापना तिथि अधिकार क्षेत्र मुख्य पीठ खंडपीठ
1चेन्नई उच्च न्यायालय 14 अगस्त 1862पांडिचेरी, तमिलनाडुचेन्नईमदुरै
2मुंबई उच्च न्यायालय 5 अगस्त 1862गोवा, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, महाराष्ट्रमुंबईनहीं
3कोलकाता उच्च न्यायालय 2 जुलाई 1862अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगालकोलकाताग्वालियर, इंदौर
4इलाहाबाद उच्च न्यायालय 11 जून 1866उत्तर प्रदेशइलाहाबादलखनऊ
5कर्नाटक उच्च न्यायालय 1884कर्नाटकबैंगलोरनहीं
6पटना उच्च न्यायालय 2 सितम्बर 1916बिहारपटनानहीं
7जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय 28 अगस्त 1928जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाखश्रीनगर / जम्मू/ लेहनहीं
8मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय 2 जनवरी 1936मध्य प्रदेशजबलपुरनहीं
9पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय 15 अगस्त 1947चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाबचंडीगढ़जयपुर
10उड़ीसा (ओडिशा) उच्च न्यायालय 3 अप्रैल 1948ओडिशाकटकनहीं
11गुवाहाटी उच्च न्यायालय 1 मार्च 1948अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, नागालैंडगुवाहाटीआइजोल, ईटानगर, कोहिमा
12राजस्थान उच्च न्यायालय 21 जून 1949राजस्थानजोधपुरनहीं
13तेलंगाना उच्च न्यायालय (हैदराबाद उच्च न्यायालय) 5 जुलाई 1954तेलंगानाहैदराबादनहीं
14केरल उच्च न्यायालय 1956केरल, लक्षद्वीपकोच्चिपोर्ट ब्लेयर
15गुजरात उच्च न्यायालय 1 मई 1960गुजरातअहमदाबादनहीं
16दिल्ली उच्च न्यायालय 31 अक्टूबर 1966राष्ट्रीय राजधानी दिल्लीनई दिल्लीनहीं
17हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय 1971हिमाचल प्रदेशशिमलानहीं
18सिक्किम उच्च न्यायालय 16 मई 1975सिक्किमगंगटोकनहीं
19छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय 1 नवंबर 2000छत्तीसगढ़बिलासपुरनहीं
20उत्तराखंड उच्च न्यायालय 9 नवंबर 2000उत्तराखंडनैनीतालनहीं
21झारखंड उच्च न्यायालय 15 नवंबर 2000झारखंडरांचीधारवाड़, गुलबर्गा
22मेघालय उच्च न्यायालय 23 मार्च 2013मेघालय(उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (पुनर्गठन) और अन्य संबंधित कानून (संशोधन) अधिनियम, 2012)शिलोंगऔरंगाबाद, नागपुर, पणजी
23मणिपुर उच्च न्यायालय 25 मार्च 2013मणिपुर(त्तर-पूर्वी क्षेत्र (पुनर्गठन) और अन्य संबंधित कानून (संशोधन) अधिनियम, 2012)इम्फालनहीं
24त्रिपुरा उच्च न्यायालय 26 मार्च 2013त्रिपुराअगरतलानहीं
25आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय 1 जनवरी 2019आंध्र प्रदेशआंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती जस्टिस सिटीनहीं

Friday, 20 March 2020

भारतीय संविधान का संविधानात्मक विकास के मुख्य बिन्दु



रेगुलेटिंग एक्ट ऑफ इण्डिया 1773

1  अंग्रेजो  के द्वारा  बनाया गया  भारत के लिए पहला कानून था। इसके द्वारा बंगाल के गवर्नर को गवर्नर जनरल नाम से जाना जाने लगा।
2  वारेन हैस्टिंग को प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया। अधिकारियों को (सैनिक और असैनिक उपहार लेने पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
3  इसके द्वारा कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कि गयी। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा तीन अन्य न्यायाधीश शामिल थे। मुख्य न्यायाधीश के रूप् में एलिजा एस्प्रे की नियुक्ति की गयी। अन्य न्यायाधीश हाइड चेम्बर्स लेमेस्टर थे।
4  इसके द्वारा कोर्ट ऑफ डाइरेक्टर की नियुक्ति की गयी। (ईस्ट इण्डिया कम्पनी के संचालन के लिए जिसमें 24 सदस्य शामिल थे।

पिटस् इण्डिया एक्ट 1784

1  रेगुलेटिंग एक्ट के दोषो को दूर करने के लिए इसको लाया गया।
2  इसके द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल की स्थापना की गयी जिसमें 06 सदस्य शामिल थे, जो कि कोर्ट ऑफ डारेक्टरर्स पर अपना नियन्त्रण रखते थे।
3  पिटस् उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे।

चार्टर एक्ट ऑफ इण्डिया 1813

1  इसके द्वारा ईस्ट इण्डिया कम्पनी का भारतीय व्यापार पर से एकाधिकार समाप्त कर दिया गया।
2  अब ब्रिटेन की अन्य कम्पनियाँ भी भारत में व्यापारिक कार्य कर सकती है।
3  इस एक्ट के द्वारा कम्पनी को यह निर्देश दिया गया कि वह भारतीयों की शिक्षा पर प्रतिवर्ष 01 लाख रू0 खर्च करेगी।
4  ईसाई मिशनरियों को भारत आने की अनुमति प्रदान की गयी।

चार्टर एक्ट ऑफ इण्डिया 1853

1  अब बंगाल का गवर्नर जनरल पूरे भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया।
2  लार्ड विलियम बैंटिक को भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया।
3  गवर्नर जनरल के परिषद में पहली बार एक विधि सदस्य लार्ड मैकाल की नियुक्ति की गयी।
4  भारतीय कानूनों को संहिता बद्ध (कोडिंग) करने के लिए लॉ कामिशन की नियुक्ति की गयी
5  योग्यता को पहली बार नौकरियों के लिए आधार बनाया गया।

चार्टर एक्ट ऑफ इण्डिया 1853

1  अब नियुक्तियां प्रतियोगी परीक्षाओ के आधार पर की जाने लगी।
2  कोर्ट ऑफ डारेक्टर की संख्या 24  से घटाकर 18 कर दिया गया।
3  जब तक ब्रिटिश संसद चाहे तब तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारतीय प्रदेशों को अपने अधीन रख सकती थी।
4  सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता का प्रस्ताव हाल्ट मैंकजी ने रखा।

भारत सरकार अधिनियम 1858

1  अब कम्पनी का शासन ब्रिटिश क्राउन के अधीन कर दिया।
2  इसके द्वारा भारत सचिव के पद का सृजन किया गया, जो कि ब्रिटिश मंत्रीमण्डल का सदस्य हुआ करता था।
3  इसके द्वारा कोर्ट ऑफ डारेक्टरर्स और बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल के पद को समाप्त कर दिया गया।
4  अब गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा।
5  लार्ड  कैनिंग को भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया। लार्ड कैनिंग ने हिन्दू विधवा विवाह कानून बनाया तीन विश्वविद्यालयों की स्थापना की।

भारत सरकार अधिनियम 1861

1  भारत प्रतिनिधी सरकार की नींव रखी गयी।
2  इसके द्वारा विधि निर्माण में भारतीयों का सहयोग लिया जाने लगा।
3 वायसराय को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी।
4  वायसराय को राज्यों के नामो सीमाओ तथा क्षेत्रों में परिवर्तन का अधिकार दिया गया।
नोटअब राज्य सम्बन्धि परिवर्तन संसद द्वारा किया जाता है।
प्रतिनिधि-जनता के अधिकारो को सुरक्षित रखना।

भारत सरकार अधिनियम 1892

1  बजट पर सदस्यो को प्रश्न पुछने (बहस करने) का अधिकार दिया गया पर मत विभाजन का अधिकार नही दिया गया।
2  सार्वजनिक विषयो पर कोई सदस्य 6 दिन की पूर्व सूचना देकर कोई प्रश्न पूछ सकता था परन्तु अनुपूरक प्रश्न नही पूछ सकता था।
3 बजट का वास्तविक नाम = वार्षिक वित्तिय विवरण है।

भारत सरकार अधिनियम 1909 (मार्ले-मिण्टो सुधार)

1 अब सदस्यों को प्रश्न पूछने के साथ-साथ मत विभाजन का भी अधिकार दे दिया गया।
2 अब सदस्यो अनुपूरक प्रश्न पूछ सकते थे।
3 इसके द्वारा मुसलमानों वाणिज्य मण्डलों और जमींदारों को साम्प्रदायिक निर्वाचन या पृथक निर्वाचन का अधिकार दिया गया।
4 इसके द्वारा गवर्नर जनरल कार्यकारिणी में एक भारतीय सदस्य श्री सतेन्द्र सिन्हा की नियुक्ति कि गयी।

भारत सरकार अधिनियम 1919 (मास्टेक्यू चेम्सफोर्ट सुधार)

1  केन्द्र में द्विसदनीय व्यवस्था लागू हुई। बाईमेरिकल सिस्टम
2  प्रान्तो में द्वैशासन की शुरुआत हुई।
3  पहली बार गवर्नर जनरल के कार्य कारिणी में एक भारतीय लॉ सदस्य की नियुक्ति की गयी, जिनका नाम श्री तेजबहादुर सप्रु था।
4  इसके द्वारा हाई कमीशनर की नियुक्ति गवर्नर जनरल के कार्यकारिणी मे किया गया।
5  इसके द्वारा सप्रदायिक निर्वाचन को विस्तार दिया गया।

भारत सरकार अधिनियम 1935 

यह अधिनियम बहुत बड़ा था, यह अधिनियम आजादी के बाद भी नया संविधान लागू होने तक लागू रहा।
1 प्रान्तों में द्विसदनीय व्यवस्था लागू की।
2 प्रान्तो में द्वैध शासन की समाप्ति केन्द्र में लागू।
3 इसके द्वारा प्रान्तो को पूर्ण स्वयात्ता प्रदान की गयी।(प्रोविन्सियल आटोनोमी)
4 इसके द्वारा 1 अप्रैल 1935 को आर0बी0 आई0 की स्थापना की गयी।
5 इसके द्वारा संयुक्त अधिवेशन (joint session )की व्यवस्था की गयी।
6 इसके द्वारा संघात्मक सरकार की स्थापना का विफल प्रयास किया गया।
7 इसके द्वारा केन्द्र एवं राज्य के सम्बन्धों के 03 सूचिया  बनाई गई जैसे, संघ सूची, प्रान्तीय सूची, समवर्ती सूची।
नेहरू ने 1935 के अधिनियम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘‘ यह अनेक ब्रेको वाली इंजन रहीत मशीन है।
लोक सभा के डिसीजन को राज्य सभा 06 महीन तक रोक सकता है।
केन्द्र में दो सदन राज्य सभा व लोकसभा
प्रान्त में दो सदन विधान सभा व विधान परिषद

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

1 यह अधिनियम माउन्टबेटन योजना के आधार पर आधारित था।
2 भारतीय स्वतन्त्रता सम्बन्धित विधेयक 04 जुलाई को ब्रिटिश संसद में रखा गया और 18 जुलाई को महारानी के अनुमति के बाद अधिनियम बना, जिसके द्वारा भारत को आजाद कर दिया गया।
3 अब भारत का विभाजन, भारत एवं पाकिस्तान नामक दो अधिराज्यो में कर दिया जाएगा।
4 देशी रियासतो को यह अधिकार दिया या तो वे भारत में शामिल हो जाए या पाकिस्तान में शामिल हो जाए या स्वतन्त्र देश के रूप् में अपना अस्तित्व बनाए रखे।
5 जब तक भारत एवं पाकिस्तान का अपना संविधान बनकर तैयार न हो जाए, तब तक दोनो देशों की शासन व्यवस्थाएँ भारत सरकार अधिनियम 1935 के द्वारा की जायेगी।
6 अवशिष्ट विषय का तात्पर्य उन बातो की सूची से है जो राज्य सूची और अन्य सूची बनावे समय छुट गयी थी। 
7 आजादी के समय 566 देशी रियासते थी।

8 हैदराबाद की सैन्य कार्यवाही द्वारा विलय किया और जूनागढ़ की जनमत द्वारा।


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